Covid-19 कचरा 7 महीने में निकला 33 हजार टन 

नई दिल्ली
पिछले सात महीने में पूरे देश में 33 हजार टन कोरोना का कचरा निकला है. सबसे ज्यादा कचरा अक्टूबर महीने में निकला था. ये 5500 टन से ज्यादा था. कोरोना की वजह से भारत में एक नया खतरा पैदा हो गया है. ये खतरा है बायोमेडिकल वेस्ट का.  आखिरकार ये कचरा जा कहां रहा है? क्या इससे संक्रमण का खतरा है? कोरोना के कचरे को कैसे खत्म किया जा रहा है?  

कोविड-19 की वजह से निकले बायोमेडिकल कचरे में पीपीई किट, मास्क, शू कवर, दस्ताने, मानव ऊतक, संक्रमित लोगों के खून, शरीर से निकले तरल पदार्थ, प्लास्टर कास्ट, पट्टियां, रूई और नाक-मुंह से पोछे गए तरल पदार्थों से सने कॉटन. अब ये कचरा जब खुले में रखा जाएगा तो सोचिए क्या होगा?  राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त डेटा के अनुसार जून 2020 से लेकर अब तक 32,994 टन कोरोना संबंधित बायोमेडिकल कचरा निकला है.

 जिसे देश के अलग-अलग 198 बॉयोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी (CBWTF) में जमा कर ट्रीट किया गया. इसके बाद उसका निस्तारण कर दिया गया सबसे ज्यादा कचरा महाराष्ट्र से निकला. यहां से अब तक 5367 टन कचरा निकल चुका है. इसके बाद 3300 टन के साथ केरल दूसरे नंबर पर, 3086 टन कचरे के साथ गुजरात तीसरे स्थान पर, फिर 2806 टन कचरा निकाला तमिलनाडु ने, 2502 टन कचरा निकाला यूपी ने, दिल्ली ने 2471 टन, पश्चिम बंगाल ने 2096 टन और कर्नाटक ने 2026 टन कचरा निकाला. 

Source : Agency

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